हिंदी भाषा हमारे राष्ट्र का गौरव - ललितकांत पांडे
हिंदी को राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाने। मांग हमारी है, जिसके लिए मैं सात वर्षों से प्रयास कर रहा हूं। शुरुआती दौर में हमने हिंदी हस्ताक्षर अभियान शुरू किया था। जिसमें लाखों लोगों से, गांव-गांव जाकर, हमारे जो हिंदी अभियान के कार्यकर्ता थे, वो लाखों लोगों से मिलकर के उनके गांव गांव जाकर उनके हस्ताक्षर हिंदी में करवाए व बदलवाए और उनको प्रेरित किया कि अपने हस्ताक्षर आप अपनी मातृभाषा हिंदी में करें, बैंक में अपने हस्ताक्षर बदल दें। सके बाद धीरे धीरे हमारा प्रयास बढ़ता गया। लोगों का सहयोग मिलता गया। तमाम बड़े-बड़े राजनेताओं से मेरी मुलाकात हुई। जिसमें भारत के रक्षा मंत्री माननीय श्री राजनाथ सिंह से हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने इस अभियान का समर्थन किया। देश के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई। उन्होंने इस अभियान का समर्थन किया। और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भार्गव जी ने भी सहयोग किया तथा इस अभियान से वह काफी प्रेरित हुए। कई लोग, कई ऐसे साधु-संत महात्मा हैं, जैसे श्रीराम बद्दाचार्य हैं, स्वामी वासुदेवानंद महाराज है, स्वामी विद्या चैतन्य जी महाराज हैं। कई धर्मगुरुओं से मेरी मुलाकात हुई। चर्चा हुई हिंदी पर तो सभी लोगों ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का स्थान मिलना चाहिए। हर वर्ग का व्यक्ति यही चाहता है कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का स्थान मिले। इसकी
सबसे पहले छोटी सी मांग गांधीजी ने सन् 1918 में उठाई थी। गांधी के बाद तो आज मैंने उठाई है। आप सभी हिन्दी को राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाने के महाभियान में सहयोगी बनें।

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