"भारत शिक्षा को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है और यह परिवर्तन अभी, यहीं लखनऊ में हो रहा है। 16वीं एड लीडरशिप इंटरनेशनल राउंडटेबल, देश का सबसे बड़ा और प्रभावशाली शिक्षा नेतृत्व सम्मेलन, एक साहसिक विषय के साथ आरंभ हुआ है: 'व्हेन एजुकेशन बिकम्स पथ'। सम्मेलन के पहले दिन डॉ. सुनीता गांधी संस्थापक, गेटी (ग्लोबल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट), पुष्पेंद्र सरोज सांसद कौशांबी , रोबर्ट गांधी मैनेजिंग डायरेक्टर सी आई एस मानस सिटी, नेक्सन जोसेफ ग्रुप एग्जीक्यूटिव देवी संस्थान, लुंभाराम चौधरी एम पी सिरोही राजस्थान के साथ कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
यह सम्मेलन केवल भाषणों या औपचारिकताओं तक सीमित नहीं है; यह कार्रवाई, नवाचार और बच्चों के सीखने के नए दृष्टिकोण का मंच है।"
इस दृष्टि के केंद्र में है अल्फा पथ मॉडल, जिसे शिक्षा सुधारक डॉ. सुनीता गांधी संस्थापक, गेटी (ग्लोबल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) और देवी संस्थान डिग्निटी एजुकेशन विज़न इंटरनेशनल) ने दो दशकों से अधिक अनुभव के आधार पर विकसित किया है। यह मॉडल एक गेम चेंजर शिक्षण पद्धति साबित हो रहा है। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (नेप) 2020 के अनुरूप, अल्फा पथ सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और गणनाक्षमता प्राप्त करने के राष्ट्रीय मिशन को आगे बढ़ाता है। यह रोज़मर्रा की कक्षाओं को आनंदमय और सक्षम बनाता है, जिसमें 4सीएस सहयोग, संचार, आलोचनात्मक चिंतन और रचनात्मकता का समावेश है।
पेयर लर्निंग (पेयर्ड लर्निंग) के माध्यम से बच्चों द्वारा संचालित कक्षा में सीखना पारंपरिक तरीकों की तुलना में तीन गुना तेज़ होता है। बच्चे आत्मविश्वास और आनंद के साथ पढ़ना और गणित में निपुणता प्राप्त करते हैं। यह मॉडल पहले से ही 10,000 स्कूलों में सक्रिय है और 35,000 और स्कूलों के साथ समझौते किए जा चुके हैं। अल्फा तेजी से विस्तार कर रहा है और दिखा रहा है कि शिक्षण पद्धति को पुनः अभिकल्पित कर परिणामों को गति और समानता के साथ हासिल किया जा सकता है।
इस परिवर्तन को राष्ट्रीय महत्व प्रदान करते हुए, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सम्मेलन को एक सशक्त वीडियो संदेश दिया। उन्होंने पथ आंदोलन का समर्थन किया और भारत की शिक्षा प्रणाली में मौलिक बदलाव का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों को 21वीं सदी के कौशल सहयोग, संचार, आलोचनात्मक चिंतन और रचनात्मकता से लैस करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और अल्फा पथ मॉडल की सराहना की, इसे भारत के बच्चों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।





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