प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन उत्तर प्रदेश (प्रचलित नाम- राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन) की बैठक राज भवन गेट नं0 01 के सामने डिप्लोमा इन्जीनियर्स भवन के सभागार में सम्पन्न हुयी। बैठक की अध्यक्षता कौशल किशोर पाण्डेय प्रदेश अध्यक्ष ग्राम प्रधान संगठन उ०प्र० ने की। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व राज्यपाल न्यायाधीश, पूर्व विधि सलाहकार रबन्द्रभूषण पाण्डेय राष्ट्रीय अध्यक्ष उपस्थित रहे। बैठक का संचालन दिनेश चन्द्र मिश्रा व हरस्वरूप व्यास ने संयुक्त रूप से किया तथा संयोजन जय प्रकाश दुबे (जे०पी०) ने किया। बैठक में तमाम जिला मण्डल प्रदेश व ब्लाक कमेटी के पदाधिकारी तथा प्रधानगण ने भाग लिया। बैठक में अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रदेश अध्यक्ष ग्राम प्रधान संगठन उ०प्र० कौशल किशोर पाण्डेय ने कहा कि प्रदेश के सभी प्रधान एक रहे. नेक रहें तथा बटेंगे तो कटेंगे के सिद्धान्त पर चलें। किसी भी प्रधान का शोषण व उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होगा। प्रदेश अध्यक्ष श्री पाण्डेय ने कहा कि वे मरते दम तक ग्राम पंचायतों तथा आम जन की सेवा करते रहेंगे। वे प्रधानों की समस्या के समाधान के लिए अर्हनिश प्रस्तुत रहेंगे। श्री पाण्डेय प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि संगठन एक सतत् प्रक्रिया है। तथा वे प्रातः 6 बजे से लेकर रात्रि सोने तक संगठन के लिए, जनसेवा के लिए काम करते रहते हैं। और करते रहेंगे। सदन ने करतल ध्वनि से प्रदेश अध्यक्ष श्री पाण्डेय जी का स्वागत किया। बैठक में माल्यार्पण कर पदाधिकारियों का स्वागत किया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व जज सी०वी० पाण्डेय ने गांव सरकार के सिद्धांत का विस्तार से प्रतिपादन किया। तथा कहा कि गांव सरकार की अवधारणा से ही देश को महान बनाया जा सकता है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष सी०वी० पाण्डेय ने उत्तर प्रदेश में 73वें संविधान संशोधन लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानों को एकता बनाये रखने को कहा। तथा प्रदेश नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने संगठन से अपील की कि वे ब्लाक, जिला व मण्डल स्तरीय बैठकों का आयोजन करते रहें। तथा स्वयं को सतत् जीवन्त रखें। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रधानों से संगठन को मजबूत बनाये
रखने की भी अपील की। बैठक में ग्राम प्रधानों के शोषण, मनरेगा सहित सभी कार्यों के चुगतान, मिशन समाधान, सरकारी भूमि (जी०एस० भूमि), तालाबी, श्रीलों, पोखरों, प्राचीन मन्दिरों तथा सरकारी स्कूलों की भूमि के अतिक्रमण हटाने, ग्राम प्रधानों व उनके परिवारी जनों को शस्त्र लाइसेंस दिए जाने, ग्राम पंचायतों को कार्य योजना के अनुसार धन आवंटन, तथा राज्य वित्त व केन्द्र वित्त में की जा रही कटौती, मानदेयों का भुगतान के लिए अलग से मद स्थापित करने, प्रधानों के भत्ते व मानदेय (वेतन) बढ़ाने, वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों में बढ़ोत्तरी मनरेगा में कच्चे पक्के काम की सीमा समाप्त कर आवश्यकतानुसार काम कराये जाने, पेंशन प्रतिमाह (कार्यकाल समाप्त होने के बाद) निर्धारित लिए जाने, प्रधान की असमय दुर्घटना आदि में हुई मृत्यु पर पच्चीस लाख रूपया परिवारीजनों को देने आदि पर चर्चा हुई। ग्राम प्रधानों ने इस बात पर भी जोर दिया कि पंचायती राज एक्ट का पालन हो। कार्ययोजना के अनुसार कार्य करने दिया जाये। अलग से काम न थोपे जाये। धारा 95 (छः) का दुरूपयोग न हो। ग्राम पंचायतों की निजी आय बढ़ाने के प्रभावी उपाय किए जाये। ग्राम प्रधान विवेकाधीन कोष की स्थापना की जाये। पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के कार्यकाल में ग्राम पंचातों के लिए जारी किए गये सभी शासनादेशों को और अधिक बल प्रदान कर प्रभावी बनाया जाये। सभी सरकारी भूमि सन् 52 के अनुसार ही खाली करायी जाये। मुख्य सचिव उ०प्र० शासन के दस पृष्ठीय पत्र सं0 4324/ सैंतीस-2-2018-5 (53)/2018 दिनांक 02 जनवरी 2019 का अक्षरशः शत प्रतिशत पालन कराया जाये। प्रधानों व उनके परिवारीजनों की सुरक्षा की जाये। तथा लगाये गये फर्जी मुकदमे समाप्त किए जाये आदि विषयों पर चर्चा हुयी। तथा सौहार्दपूर्ण वातावरण में बैठक समाप्त हुई।


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