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कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री और मास्टरकार्ड के डिजिटल सक्षम कार्यक्रम से उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म उद्यमों में आ रहे हैं सकारात्मक बदलावl

 


 लखनऊ, : कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) और मास्टरकार्ड सेंटर फॉर इंक्लूसिव ग्रोथ  प्रोजेक्ट डिजिटल सक्षम पहल एक अनोखा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में कपड़ा, चमड़ा शिल्प, आभूषण और पाक कला जैसे स्थानीय उद्योगों में लगे एमएसएमई को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है। यह पहल वैश्विक स्तर पर पारंपरिक व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल संसाधनों का उपयोग करके स्थानीय उद्यमियों और बुनकरों, कारीगरों जैसे छोटे व्यवसायों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। विशेष रूप से, इसने सूक्ष्म और लघु व्यवसाय मालिकों के बीच डिजिटल भुगतान के उपयोग को बढ़ावा दिया है, वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित किया है और 6,100 छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को प्रभावित किया है।


श्री एम पोन्नुस्वामी, को-चेयरमैन, सीआईआई नेशनल एमएसएमई काउंसिल और अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, पोन प्योर केमिकल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने इस कार्यक्रम पर अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा “सरकार के हालिया बजट ने एमएसएमई पर अपना ध्यान केंद्रित किया है और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने में उनके योगदान पर प्रकाश डाला है। इसे प्राप्त करने के लिए, एमएसएमई को अपने व्यवसायों का विस्तार करने की आवश्यकता है, और उद्योग की उभरती मांगों और जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियां महत्वपूर्ण हैं। उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य है जो विभिन्न समूहों में एमएसएमई को समर्थन और उत्थान की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। स्थानीय उद्यमियों को सशक्त बनाने से न केवल इस यात्रा में तेजी आएगी, बल्कि क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसे राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। डिजिटल सक्षम परियोजना, जो सूक्ष्म उद्यमों के समूहों पर केंद्रित है, सफलतापूर्वक 30,100 उद्यमों तक पहुंच गई है और 9,040 से अधिक उद्यमियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। परिणामस्वरूप, 6,100 से अधिक व्यवसायों ने अपने दैनिक कार्यों में डिजिटल टूल को शामिल किया है।”


डिजिटल सक्षम परियोजना विभिन्न उद्योगों में नए विचार, विकास और स्थिरता लाने में मदद करती है। उत्तर प्रदेश में यह परियोजना पारंपरिक हस्तशिल्प के साथ आधुनिक तकनीक का मिश्रण करके सांस्कृतिक संरक्षण और आर्थिक प्रगति के एक नए युग की शुरुआत कर रही है। जैसे उदाहरण के तौर पर लखनऊ का डिजिटल साड़ी एम्पोरियम, जो क्षेत्रीय बुनकरों को वैश्विक दर्शकों से जोड़ता है, वाराणसी का डिजिटल सिल्क रूट, जो शहर के रेशम उत्पादों को दुनिया भर में प्रदर्शित करता है। सोनभद्र में डिजिटल चमड़ा शिल्प पहल विश्व स्तर पर पारंपरिक चमड़ा निर्माण को बढ़ावा देती है,  आगरा की डिजिटल आभूषण कार्यशाला पारंपरिक शिल्प कौशल के साथ डिजिटल नवाचार का मिश्रण करके उद्योग में क्रांति ला रही है। मथुरा का डिजिटल फ़्लेवर्स व्यवसायों, सरकारी एजेंसियों और स्थानीय समुदायों को बेहतर सहयोग के लिए एक साथ लाकर राज्य के डिजिटल पुनर्जागरण में मदद कर रहा है।

उत्तर प्रदेश में सीआईआई की डिजिटल सक्षमता पहल की सफलता दर्शाती है कि कैसे परंपरा और प्रौद्योगिकी एक साथ मिलकर महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं। यह सहयोगात्मक प्रयास न केवल स्थानीय कारीगरों को वैश्विक स्तर पर सशक्त बनाता है बल्कि वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा देता है। यह एक ऐसे भविष्य के लिए मंच तैयार करता है जो समावेशी और समृद्ध है, जो नवाचार, विकास और स्थिरता को आगे बढ़ाने में साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डालता है।

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