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संक्रमण से बचाव के लिए मास्क जरूरी, पर इसके भी हैं कई खतरे


कोरोना का संक्रमण फैलने के बाद फेस मास्क को अनिवार्य कर दिया गया है। यदि आप घर से बाहर निकलते हैं तो आपके लिए जरूरी है कि आप फेस मास्क लगाकर ही घर से निकलें। फेस मास्क को लेकर एक नई बात सामने आ रही है।
 


कई लोगों का कहना है कि लगातार मास्क इस्तेमाल करने से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो रहा है जिसके कारण कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) में वृद्धि हो रही है, लेकिन क्या सच में मास्क के अधिक इस्तेमाल से शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है? आइए जानते हैं इस बारे में एक्सपर्ट का क्या कहना है?


फेस मास्क के कारण हुई कार दुर्घटना



पिछले महीने 23 अप्रैल को लिंकन पार्क, न्यू जर्सी में एक ड्राइवर ने पोल में अपनी कार से टक्कर मार दी और उसने इस दुर्घटना के लिए अपने फेस मास्क को जिम्मेदार ठहराया। उसने पुलिस को बताया कि लंबे समय से एन95 मास्क पहनने के कारण वह अपना संतुलन खो बैठा और टक्कर हो गई।

शुरुआती जांच में भी पुलिस ने इस बात को स्वीकार किया कि मास्क पहनने के कारण ड्राइवर के शरीर में ऑक्सीजन कम हो गया था और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ गई थी। पुलिस ने इस वाकये को फेसबुक पर शेयर किया जिसपर भारी संख्या में लोगों ने कॉमेंट किए।




फेस मास्क के इस्तेमाल को लेकर एक्सपर्ट की क्या राय है?



राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) के अनुसार कई मामलों में फेस मास्क का लंबे समय तक इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। एनआईएच का कहना है कि कार्बन डाइऑक्साइड के उच्च स्तर पर सांस लेना जानलेवा हो सकता है। कार्बन डाइऑक्साइड में मौजूद हाइपरकेनिया (विषाक्तता) के कारण सिरदर्द, सिर का चक्कर, दोहरी दृष्टि, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता, टिनिटस (कान बजना) और दौरा पड़ने जैसी समस्या हो सकती है।

इंडियाना यूनिवर्सिटी, ब्लूमिंगटन में रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर बिल कैरोल के मुताबिक आमतौर पर वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 0.04 फीसदी होती है लेकिन यदि यही मात्रा 10 फीसदी या इससे अधिक हो जाए तो जानलेवा हो सकती है।




फेस मास्क के साथ क्या है परेशानी?



जब आप कोई मास्क पहनते हैं तो सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया चलती रहती है। इस दौरान मास्क के कारण ऑक्सीजन का प्रवाह कम रहता है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, क्योंकि जो सांस आप छोड़ते हैं वह मास्क में ही कुछ देर रहता है।

ऐसे में आप छोड़े हुए सांस यानी कार्बन डाइऑक्साइड को ही ऑक्सीजन के साथ ले रहे होते हैं। बिल कैरोल कहते हैं कि सीओ2 रक्त के pH को नियंत्रित करता है। अधिक सीओ2 के कारण रक्त बहुत अम्लीय हो जाता है। जैसे-जैसे रक्त अम्लीय होता जाता है तो शरीर ऑक्सीजन की मांग करता है और नहीं मिलने की स्थिति में दौरे जैसे समस्याएं होने लगती हैं।




किस तरह का मास्क इस्तेमाल करना चाहिए?



यदि आप किसी प्लास्टिक बैग को मुंह पर बांध लें तो कोरोना वायरस से आप बच सकते है लेकिन सांस फूलने की वजह आपकी जान जा सकती है। एन95 मास्क स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बेहतर है, लेकिन यदि आप इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो लंब समय तक ना करें। दौड़ते समय या तेजी से टहलते समय एन95 मास्क का इस्तेमाल ना करें। ऐसा करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है। मास्क के बिना घर से निकलना ठीक नहीं है। फैशन के चक्कर में टाइट मास्क पहनने से बचें।

आप ऐसे मास्क का इस्तेमाल करें जो ढीला-ढाला हो लेकिन मुंह और नाक को ठीक से ढंकने में सक्षम हो। घर पर बने मास्क ज्यादा बेहतर हैं, क्योंकि इनके साथ सांस लेने में तकलीफ नहीं होगी। घर पर मास्क बनाने के लिए भी कॉटन के कपड़े का इस्तेमाल करें। टेरीलीन के कपड़े से बने मास्क पहनने से बचें। यदि मास्क पहनने के बाद सांस लेने में दिक्कत हो रही तो मास्क को उतार दें और किसी सुरक्षित जगह पर आराम करें।



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