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एक गलती से खाली हो सकता है बैंक अकाउंट कोरोना के साथ साइबर चोरों से भी रहें सतर्क




कोरोना वायरस महामारी के कारण पूरी दुनिया परेशान है, लेकिन कोरोना के साथ एक और महामारी आई है जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है। कोरोना सेहत के लिए खतरनाक है लेकिन यह महामारी आपकी आर्थिक स्थिति को खराब कर सकती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ऑनलाइन ठगी की, यह महामारी कोरोना से भी खतरनाक है। आए दिन साइबर अपराधी लोगों के बैंक अकाउंट से पैसे गायब कर रहे हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि ये साइबर अपराधी लोगों को चूना लगाने के लिए कोरोना की मदद ले रहे हैं। भारत सरकार ने इस तरह की ठगी के बारे में लोगो को अलर्ट किया है। आइए जानते हैं कैसे...
 

फेसबुक आईडी हैकिंग
साइबर चोरों ने लोगों का चूना लगाने का एक नया तरीका निकाला है। जिन फेसबुक यूजर्स ने अपना पासवर्ड कमजोर रखा है, उनकी आईडी को ये लोग हैक करते हैं और फिर आईडी वाले के अकाउंट से फेसबुक मैसेंजर पर उसके करीबी लोगों को मैसेज करते हैं कि वह मुसीबत में है और कुछ पैसे की जरूरत है। ये चोर कई बार फर्जी एक्सिटेंड की फोटो भी मैसेंजर में भेज रहे हैं। ऐसे में लोगों को लग रहा है कि उनका दोस्त या करीबी मुसीबत में है और लोग पैसे भेज दे रहे हैं।

ये ठग पैसे लेने के लिए फोनपे या गूगल पे का नंबर देते हैं। ऐसे में आपको बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। यदि आपके पास फेसबुक मैसेंजर पर किसी दोस्त या करीबी का मैसेज आ रहा है और पैसे की मांग हो रही है तो सबसे पहले उसे फोन पर बात करें और उसके बाद ही कोई कदम उठाएं। मैसेंजर में आए फोनपे या गूगल पे के नंबर पर पैसे भेजने की गलती ना करें।

पीएम केयर्स नाम से बनाई नकली आईडी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से लड़ने के लिए पीएम केयर्स फंड की घोषणा की थी, जिसके बाद साइबर ठगों ने पीएम केयर्स की नकली यूपीआई आईडी भी बना डाली। इसके बाद सरकार और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को पीएम केयर्स की नकली आईडी को लेकर चेतावनी जारी करनी पड़ी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीएम केयर्स की असली यूपीआई आईडी pmcares@sbi है लेकिन नकली यूपीआई आईडी Pmcare@upi के नाम से है। इसके अलावा कई अन्य नकली आईडी भी हैं लेकिन आपको सिर्फ असली यूपीआई आईडी pmcares@sbi में ही पैसे भेजने हैं।

फर्जी ई-मेल से रहें सावधान
साइबर ठग लोगों को लगातार ऐसे ई-मेल भेज रहे हैं जिनमें या तो मैलवेयर हैं या फिर फर्जी वेब लिंक्स। सिक्योरिटी फर्म बाराकुडा नेटवर्क के मुताबिक कोरोना वायरस फैलने के बाद से पिशिंग अटैक में 667 फीसदी का इजाफा हुआ है। केवल 1 मार्च से 23 मार्च के बीच 4,67,825 पिशिंग ई-मेल भेजे गए जिनमें 9,116 कोरोना से संबंधित हैं, जबकि फरवरी में कोरोना को लेकर 1,188 और जनवरी में सिर्फ 137 ई-मेल भेजे गए थे। फर्म का कहना है कि इसमें तेजी से इजाफा हो रहा है। कोरोना वायरस से संबंधित ई-मेल भेजकर लोगों की निजी जानकारी चोरी की जा रही है और उनके सिस्टम में मैलवेयर इंस्टॉल करवाया जा रहा है।
अस्पतालों पर भी हो रहे हैं साइबर अटैक्स
कोरोना वायरस के कारण अस्पताल और डॉक्टर्स इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। ऐसे साइबर अपराधियों के निशाने पर अस्पताल का सर्वर और डाटा बेस भी है। हाल ही में यूरोप की हेल्थकेयर संस्था अस्पताल ब्रनो पर साइबर अटैक हुआ था जिसके बाद संस्था के पूरे आईटी नेटवर्क को बंद करना पड़ा। कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों पर साइबर अटैक का खतरा बहुत बढ़ गया है, लेकिन समस्या यह है कि भारत के अस्पतालों में साइबर सिक्योरिटी को लेकर कुछ खास इंतजाम नहीं हैं। अस्पतालों की साइबर सिक्योरिटी को लेकर साइबर सिक्योरिटी फर्म बिटडिफेंडर ने तमाम अस्पतालों को 12 महीने तक एंटरप्राइज ग्रेड सिक्योरिटी देने की घोषणा की है। इसकी जानकारी बिटडिफेंडर के डायरेक्टर जाकिर हुसैन ने दी है।

इंटरनेट के दुनिया में क्या-क्या हैं खतरे?


  1. स्कैम- स्कैम ई-मेल के जरिए लोगों को फ्री मास्क, फ्री सैनिटाइजर देने के दावे वाले ई-मेल भेजे जाते हैं। इसके अलावा लोगों को ऐसे ई-मेल भी भेजे जाते हैं जिनमें वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में निवेश करने को कहा जाता है, जबकि वास्तव में ये कंपनियां फर्जी होती हैं। इसके अलावा लोगों से फर्जी डोनेशन भी मांगे जाते हैं। वहीं चैरिटी वाले ई-मेल भी आते हैं।

  2. मैलवेयर- कोरोना वायरस से संबंधित ई-मेल में कई तरह के मैलवेयर एक मीडिया फाइल के जरिए भेजे जा रहे हैं। उदाहरण से समझें तो आपके पास ऐसा कोई ईमेल आ सकता है जिसमें एक फाइल अटैच होगी और उसे डाउनलोड करने को कहा जा रहा होगा। फाइल को डाउनलोड करते ही आपके सिस्टम के हैक होने की संभावना है। इस तरीके से आपके फोन में बैकिंग मैलवेयर इंस्टॉल किए जा सकते हैं और शिकार बनाया जा सकता है।

  3. निजी जानकारी की चोरी- कोरोना के नाम पर ऐसे भी ई-मेल आ रहे हैं जिनमें किसी बड़ी कंपनी के हवाले से वेब पेज का लिंक भेजा जा रहा है। लिंक पर क्लिक करते ही एक वेब पेज खुलता है। इसके बाद आपसे निजी जानकारी मांगी जाती है।

  4. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान भी जासूसी का खतरा है। जूम जैसे एप को लेकर एक्सपर्ट ने अधिक सावधानी बरतने को कहा है, नहीं तो गोपनीय बैठकों में ऑफिस की निजी जानकारी सार्वजनिक हो सकती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान फाइल और ईमेल भेजते समय भी अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप का पासवर्ड मजबूत रखें और सॉफ्टवेयर को भी अपडेट रखें। किसी अनजान वेब लिंक्स पर क्लिक करने से बचें।


 




 

 


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