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दक्षिण कोरिया ने बिना लॉकडाउन ऐसे जीती कोरोना से जंग


कोरोना वायरस ने चीन के बाद सबसे पहले अगर किसी देश को प्रभावित किया तो वह था दक्षिण कोरिया। इस देश में अब तक 9 हजार से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 139 लोगों की जान जा चुकी है। 


मगर कोरोना का जो विकराल रूप मार्च की शुरुआत में था, वैसा भयावह रूप अब देखने को नहीं मिल रहा है। कारण एक महिला के नेतृत्व वाली टीम का अथक प्रयास और कोरोना को हराने का जज्बा। कोरिया के रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (सीडीसी) की प्रमुख जंग इयुन-केयोंग। इनके दम पर ही आज कोरिया ने कोरोना पर काफी हद तक काबू पा लिया है। 



इसी महीने 3 मार्च को जहां एक दिन में 851 मामले सामने आए थे, वहीं 23 मार्च को यह घटकर 64 तक पहुंच गए। कोरोना से जंग जीतने में सीडीसी प्रमुख जंग ने दिन-रात एक कर दिए। हफ्तों तक घर नहीं गईं। आराम भी बमुश्किल ही किया और जीतकर ही दम लिया। 

खास बात यह रही कि उन्होंने देश को लॉकडाउन नहीं किया बल्कि कोरोना वायरस का पीछा कर उसे खत्म किया। कोरिया में वायरस के संक्रमण का प्रमुख केंद्र गुप्त धार्मिक पंथ रहा, जहां शामिल होने वाले भक्तों में यह वायरस तेजी से फैला। 

जंग ने इनके साथ अनुबंध कर सभी 2,12,000 सदस्यों की जानकारी हासिल की और सभी की ढूंढ-ढूंढकर जांच की।





  • चीन के बाद दक्षिण कोरिया पहला ऐसा देश था, जहां कोरोना वायरस बहुत तेजी से फैला। 

  • इसके बावजूद कोरिया में शहरों को लॉकडाउन नहीं किया गया और न ही कार्यालय बंद किए गए। स्कूल भी अप्रैल में खुलने वाले हैं।  

  • मगर कोरिया के स्वास्थ्य प्रशासन ने अमेरिका, ब्रिटेन की तुलना में ज्यादा तेजी से कदम उठाया और ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच की। उनका पूरा फोकस टेस्टिंग आपरेशन पर ही रहा। 


कोरोना को लेकर नक्शा तैयार किया 

  • सीडीसी चीफ जंग इयुन-केयोंग के नेतृत्व में टीम का पूरा फोकस कोरोना को लेकर पूरा नक्शा तैयार करने पर रहा। 

  • इसकी शुरुआत हुई सियोल से 150 मील दूर डेगू स्थित चर्च से, कोरिया में वैश्विक महामारी का यही केंद्र रहा है। 

  • अधिकारियों ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए उन सभी की जांच की, जो मरीजों के संपर्क में रहे थे। 

  • यह प्रयास इसलिए भी खास है क्योंकि न तो दक्षिण कोरिया सिंगापुर की तरह छोटा सा देश है और न ही यहां चीन की तरह तानाशाही है। 





रंग लाई मुहिम 




  • जंग के नेतृत्व में चलाई गई यह मुहिम रंग लाई और अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसे सराहना भी मिली। 

  • अमेरिका के खाद्य एवं दवा प्रशासन के पूर्व अध्यक्ष स्कॉट गॉटलिब ने कहा कि हमें इससे सीख लेनी चाहिए। 

  • दो हफ्ते पहले जहां हर हफ्ते 900 नए मामले सामने आ रहे थे, वह घटकर 100 प्रति सप्ताह तक आ गए हैं। 


गलतियों से लिया सबक

  • ऐसा नहीं है कि जंग हमेशा ही एक सफल योद्धा रहीं, लेकिन महामारी से निपटने में अपनी पिछली गलतियों से उन्होंने सबक लिया।

  • सियोल के बाहर यांगजू शहर के डॉक्टर परिवार से संबंध रखने वाली जंग इयुन-केयोंग 1995 में स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ी थीं

  • 2009 में उन्हें H1N1 महामारी को रोकने का जिम्मा सौंपा गया। इस वायरस से 7.5 लाख कोरियाई नागरिक प्रभावित हुए थे। 

  • छह साल बाद उन्हें MERS से लड़ने के लिए रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (सीडीसी) का प्रमुख बनाया गया। 

  • कई शहरों में संक्रमित मरीजों को बिना जानकारी के स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया। इसकी काफी आलोचना हुई।

  • बाद में यह भी खबर आई कि लापरवाही की वजह से उनका वेतन भी काटा गया। 





हफ्तों तक घर नहीं गईं 




  • यही नहीं जंग हफ्तों तक घर नहीं गईं। पार्किंग में खड़े खाने के ट्रक से कुछ खातीं और फिर काम पर लौट आतीं। 

  • इस दौरान वह बमुश्किल ही सोईं और दिन रात काम करती रहीं। 

  • सीडीसी प्रमुख को कई विदेशी मीडिया चैनलों ने इंटरव्यू के लिए बुलाया, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया कि उनकी प्राथमिकता अभी कुछ और है। 


मगर इस बार नहीं की कोई चूक 

  • इस बार जंग के नेतृत्व वाली टीम ने कोई चूक नहीं की और स्थानीय कंपनियों के साथ बड़े पैमाने पर टेस्टिंग किट तैयार करवाई, जिसे तुरंत मंजूरी भी दिलवाई गई।  

  • जनवरी में जंग दिन में दो बार देश को इस वायरस पर अपडेट देती रहीं। उन्होंने मरीजों की पहचान छिपाई नहीं बल्कि उनकी लोकेशन तक साझा की।

  • मरीज का इलाज किस अस्पताल में हुआ, कौन-कौन उसके संपर्क में आया, यह सब बताया गया। 

  • लोगों को उनके स्मार्ट फोन पर मरीजों की मौजूदा लोकेशन के बारे में भी जानकारी मुहैया कराई गई।  

  • सीडीसी ने हर रोज 20 हजार लोगों की जांच करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, जिससे इस वायरस पर काबू करने में मदद मिली। 



 


 

 

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