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मोदी सरकार के सपने को झटका,आर्थिक सर्वे के आंकड़ों से 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी


मोदी सरकार ने 2024 तक इंडियन इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर की बनाने का लक्ष्य रखा है. अर्थशास्त्री मानते हैं कि इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ रेट 8 फीसदी सालाना होनी चाहिए. लेकिन इस लक्ष्य को रखने के पहले ही साल आर्थिक सर्वेक्षण ने इसे झटका लगा दिया है. इस वर्ष तो जीडीपी ग्रोथ करीब पांच फीसदी रहने का अनुमान है ही, अगले साल के लिए भी खुद मोदी सरकार मानती है कि GDP ग्रोथ रेट 6-6.5 फीसदी के बीच रहेगी.


5 ट्रिलियन इकोनॉमी को झटका?


दरअसल सरकार ने वर्ष 2019-2020 का आर्थ‍िक सर्वेक्षण संसद में पेश कर दिया है. इस सर्वे रिपोर्ट में देश की अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर कई अहम आंकड़े पेश किए गए हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में GDP ग्रोथ रेट 6-6.5 फीसदी के बीच रहेगी. यानी 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लिए जो जीडीपी का लक्ष्य रखा गया है, उससे डेढ़ से 2 फीसदी तक ग्रोथ रेट कम रह सकती है.


जीडीपी ग्रोथ के मोर्चे पर झटका


अगर वित्त वर्ष 2020-21 में GDP ग्रोथ रेट 6-6.5 फीसदी रहती है, तो फिर अगले तीन साल में 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी तक पहुंचने के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 8 फीसदी से भी ऊपर पहुंच जाएगा. क्योंकि सरकार ने 2024 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में बजट 2020 से पहले आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों ने जीडीपी ग्रोथ के मोर्चे पर सरकार को झटका दे दिया है.


क्या 2024 तक पूरा नहीं हो पाएगा मोदी का सपना?


बता दें, पिछले साल जब मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई, तो उसने जुलाई 2019 में बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण के दौरान के भारतीय इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन बनाने का ऐलान किया था. उसी समय अनुमान लगाया गया था कि इस लक्ष्य को पाने के लिए 2024 तक लगातार कम से कम 8 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट की जरूरत होगी. लेकिन खुद सरकार चालू वित्त वर्ष (2019-20) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 5 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान लगाया है. वहीं 2020-2021 के लिए अब 6 से 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.


गौरतलब है कि 1 फरवरी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2020-21 के लिए संसद में आम बजट पेश करेंगी. बजट से पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आर्थिक मोर्चे पर सक्रिय दिखे थे. उन्होंने इस महीने लगातार तमाम बड़े उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों के साथ बैठकें की थीं. बैठकों के दौरान 5 ट्रिलियन इंडियन इकोनॉमी पर भी चर्चा हुई थी.


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