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मोदी सरकार का सरकारी बैंकों के लिए ये है प्लान


बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण में बैंकिंग सेक्टर को लेकर सरकार ने एक नजरिया पेश किया है. सरकार का मानना है कि बिना सरकारी बैंकिंग की स्थिति में सुधार लाए अर्थव्यवस्था में तेजी संभव नहीं है. सर्वेक्षण में कहा गया कि साल 1969 से जिस रफ्तार से देश की अर्थव्‍यवस्‍था का विकास हुआ, उस हिसाब से बैंकिंग क्षेत्र विकसित नहीं हो सका.


दरअसल एक बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था में सशक्‍त बैंकिंग क्षेत्र को होना बहुत जरूरी है. भारतीय बैंकिंग व्‍यवस्‍था में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको की हिस्‍सेदारी 70 फीसदी है इसलिए अर्थव्‍यवस्‍था को सहारा देने में इनकी जिम्‍मेदारी बड़ी है.


बैंकिंग सुधार को लेकर आर्थिक सर्वे में प्लान


पिछले साल यानी 2019 में भारत में बैंकों के राष्‍ट्रीयकरण के 50 वर्ष पूरे हुए. इस मौके पर पिछले कुछ सालों में बैंकिंग व्यवस्था को लेकर उठाए गए कदमों को कर्मचारियों ने भी सराहा. सरकार का कहना है कि सरकारी बैंकों में सुधार की दिशा में विलय भी एक अहम फैसला था.


आर्थिक सर्वेक्षण की मानें तो भारत का केवल एक बैंक विश्‍व के 100 शीर्ष बैंकों में शामिल हैं. यह स्थिति भारत को उन देशों की श्रेणी में ले जाती हैं, जिनकी अर्थव्‍यवस्‍था का आकार भारत के मुकाबले कई गुना कम जैसे कि फिनलैंड जो भारत (लगभग 1/11वां भाग) और (डेनमार्क लगभग 1/8वां भाग).



क्या है समस्या का हल?


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रदर्शन के पैमाने पर अपने समकक्ष समूहों की तुलना में उतने सक्षम नहीं हैं. 2019 में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में औसतन प्रति एक रुपये के निवेश पर 23 पैसे का घाटा हुआ, जबकि गैर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 9.6 पैसे का मुनाफा हुआ.


पिछले कई वर्षों से सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में ऋण वृद्धि गैर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में काफी कम रही. सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में बताया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अधिक सक्षम बनाने के लिए उसने रोडमैप तैयार कर लिया है.


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयर में कर्मचारियों के लिए हिस्‍सेदारी की योजना है. बैंक के बोर्ड में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्‍व बढ़ाना और उन्‍हें बैंक के शेयर धारकों के अनुसार वित्‍तीय प्रोत्‍साहन देना है.


जीएसटीएन जैसी व्‍यवस्‍था करना ताकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से उपलब्‍ध आंकड़ों का संकलन किया जा सके और बैंक से कर्ज लेने वालों पर बेहतर निगरानी रखने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस और मशीन लर्निंग जैसी प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल करना.


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